रामायण में महा शक्तिशाली योद्धा लक्ष्मण जी थे, लेकिन क्यों?
मुनि अगस्त्य ने श्री राम से कहा की सबसे बड़े योद्धा लक्ष्मण जी थे। कारण जानने के लिए पूरा पढ़ें।
नमस्कार दोस्तों, कैसे है आप। आशा करता हूँ कि आपको मेरा Newsletter पसंद आ रहा होगा। आज के इस आर्टिकल में, मैं आपको मुनि अगस्त्य और श्री राम के बीच का वार्तालाप बताने वाला हूँ। लेकिन इससे पहले थोड़ा सा मेघनाथ के बारे में जान लेते है।
मेघनाद का जन्म
मेघनाद के जन्म के समय लंकापति रावण ने सभी ग्रहों को उसके 11 वें घर में रहने का आदेश दिया था ताकि उसका जन्म शुभ नक्षत्र (Meghnath Ki Kundli) में हो। किंतु आखिरी समय में शनि देव ने अपनी चाल बदल दी व 11 वें से 12 वें घर में प्रवेश कर गए जो अंत में मेघनाद की मृत्यु का कारण बना था। शनि देव से क्रुद्ध होकर रावण ने उन्हें बहुत मारा था।
जब मेघनाद का जन्म हुआ था तब वह सामान्य बच्चों की तरह रोया (Meghnath Ka Janam Kaise Hua) नही था बल्कि मेघों/बादलों के समान गरजा था। इससे खुश होकर रावण ने उसका नाम मेघनाद रख दिया था अर्थात बादलो की गर्जना।
मेघनाद का विवाह
मेघनाद का विवाह शेषनाग की कन्या सुलोचना के साथ हुआ था। सुलोचना एक नाग कन्या थी। इस प्रकार मेघनाद लक्ष्मण का दामाद था क्योंकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे।
मेघनाद का यज्ञ व शक्तियां
जब मेघनाद बड़ा हो गया तब उसने गुरु शुक्राचार्य की सहायता से अपनी कुलदेवी निकुंबला (Meghnath Ki Kuldevi) के समक्ष सात यज्ञों का अनुष्ठान (Meghnath Ki Tapasya) किया था। इससे उसे कई अस्त्र-शस्त्र प्राप्त हुए थे जिसमे एक दिव्य रथ था जो उसके मन की गति से किसी भी दिशा में उड़ सकता था। साथ ही उसे अक्षय तरकश व दिव्य धनुष प्राप्त हुए थे जिसमे बाण कभी समाप्त नही होते थे।
अब वापस आते है हमारे आज के आर्टिकल पर -
लंका विजय के बाद मुनि अगस्त्य श्री राम से मिलने आये और राम जी ने उन्हें बताया की कैसे उन्होंने युद्ध में बड़े बड़े वीरों को परास्त किया। इस पर मुनि ने कहा, “श्रीराम, बेशक रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाद ही था। उसने स्वर्ग में देवराज इंद्र से युद्ध किया और उन्हें बांधकर लंका ले आया था। ब्रह्माजी ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब इंद्र मुक्त हुए थे। लक्ष्मण ने सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति का वध किया इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए।”
अगस्त्य मुनि के मुख से भाई की वीरता की प्रशंसा सुनकर प्रभु श्रीराम खुश तो बहुत थे, लेकिन उनके मन में एक जिज्ञासा उठ रही थी कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का वध रावण से अधिक मुश्किल था श्रीराम की जिज्ञासा को शांत करने के लिए अगस्त्य मुनि ने बताया, इंद्रजीत को यह वरदान प्राप्त था कि उसका वध वही कर सकता था जो 14 वर्षों तक न सोया हो, जिसने 14 साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और 14 साल तक भोजन न किया हो। अगस्त्य मुनि की बातें सुनकर श्रीरामजी बोले, मैं वनवास काल में 14 वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल उन्हें देता था। मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था, बगल की कुटी में लक्ष्मण थे, फिर सीता का मुख भी न देखा हो, और 14 वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव है।
श्री राम जी ने लक्ष्मण जी को बुलाया और उनसे पूछा तो लक्ष्मणजी ने बताया-
भैय्या जब हम भाभी को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा। तो आपको स्मरण होगा कि मैं तो सिवाय उनके पैरों के नूपुर के अलावा कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं। जब आप और माता एक कुटिया में सोते थे तो मैं रात में बाहर पहरा देता था। निद्रा ने मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की तो मैंने निद्रा को अपने बाणों से बेध दिया था।
लक्ष्मणजी ने 14 वर्षों तक भूखे रहने के बारे में बताया,
मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके 3 भाग करते थे। एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे लक्ष्मण फल रख लो। आपने कभी फल खाने को नहीं कहा- फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे?
लक्ष्मणजी की यह बातें सुनकर प्रभु श्रीराम ने उन्हें गले से लगा लिया। यही वजह थी कि इन कठोर प्रतिज्ञाओं के कारण वह मेघनाद को मारने का साहसपूर्ण कार्य कर सके और वीर योद्धा कहलाए।
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Damn aisa bhi tha kya.
Lakshman ji 14 saal soye nhi the yeh to pata tha but 14 saal kuchh khaye n the yeh to ab jana 🙏🙏🙏
Wooo this such a beautiful relationship between the brothers. Is liye kehte hain Bhai ho to laxmanji jaise